दुनिया में वैज्ञानिक तथा तकनीक पद्धति से खेती करना समझदारी और लाभकर समझा जाता है। इसी के जरिए केंद्र सरकार की नई पहल होगी, जिसमें किसानों को कृषि तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों से परिचित कराना और उन्हें अधिक मुनाफा दिलाना है।
एक बार फिर केंद्र सरकार किसानों की माली हालात सुधारने की पहल करती दिख रही है। सरकारी तौर पर कहा जा रहा है कि किसानों को किसानी के जरिए ही अब उद्यमी बनाया जाएगा, इससे किसानों की माली हालात में सुधार होगा। आमतौर पर भारतीय खेती को परंपरा से की जाने वाली देसी खेती माना जाता है। मगर यह महज मान्यता है, क्योंकि देसी खेती में रसायनों, रासायनिक उर्वरकों और विदेशी बीज का इस्तेमाल नहीं होता। नई तकनीक तथा वैज्ञानिक ढंग से की जाने वाली खेती में रसायनों और महंगे उर्वरकों का इस्तेमाल उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है। केंद्र सरकार की नई पहल आधुनिक खेती के जरिए किसानों को उद्यमी बनाने की है।
दुनिया में वैज्ञानिक तथा तकनीक पद्धति से खेती करना समझदारी और लाभकर समझा जाता है। इसी के जरिए केंद्र सरकार की नई पहल होगी, जिसमें किसानों को कृषि तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों से परिचित कराना और उन्हें अधिक मुनाफा दिलाना है। इसके बाबत देश के हर जिले में ऐसी टीम बनाई जाएगी, जिसमें खेती से ताल्लुक रखने वाले सभी क्षेत्रों के लोग होंगे। केंद्र सरकार के जरिए मुहैया कराई गई सूचना या जानकारी के मुताबिक बनाई जाने वाली टीम में किसानों के अलावा कृषि वैज्ञानिक, कारखानों के विशेषज्ञ, कृषि विभाग और प्रशासन के अधिकारियों को शामिल किया जाना है। इसके अलावा, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) कृषि सखी, ड्रोन दीदी और स्वयं सहायता समूह में बेहतर कार्य करने वाले किसानों और महिलाओं को भी इससे जोड़ने की बात कही गई है।
केंद्र सरकार की इस पहल में राज्य सरकार और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के आधीन आने वाले सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक मिलकर काम करेंगे। फिलहाल देश में 731 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) हैं। इन केंद्रों पर कार्यरत कृषि वैज्ञानिकों की मदद से किसानों को उद्यमी बनाने और फसलों को बर्बाद होने से बचाने का खाका तैयार किया जा रहा है। अगर केंद्र सरकार की यह योजना कारगर हुई, तो इससे उन करोड़ों किसानों को फायदा हो सकता है, जो खेती को घाटे का सौदा बताकर छोड़ चुके या बदहाली की जिंदगी गुजार रहे हैं।